उत्तराखंड के उत्तरकाशी पुरोला में जारी तनाव के बीच बड़ी खबर आ रही है। जहां नाबालिग लड़की को भगाने की कोशिश और एक खास समुदाय के व्यापारियों के उत्तरकाशी से पलायन का मामला सांप्रदायिक रंग लेता जा रहा है। वहीं मामले में सख्ती बरतते हुए पुरोला नगर क्षेत्र में जिला प्रशासन ने आज 14 जून से लेकर 19 जून तक लागू की धारा 144 लागू कर दी है। ये कार्रवाई पुरोला में 15 जून को प्रस्तावित महापंचायत को लेकर की गई है।

बताया जा रहा है कि क्षेत्र में तनाव को देखते हुए प्रशासन ने महापंचायत की अनुमति नहीं दी थी। पुलिस के सख्त रुख के बाद ग्राम प्रधानों का संगठन बैकफुट पर आ गया, लेकिन अब विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल जैसे हिंदुवादी संगठन खुलकर सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा कि हम लव जिहाद के खिलाफ पुरोला में महापंचायत करेंगे। ऐसे में अब प्रशासन ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है।

राज्य के डीजीपी अशोक कुमार ने महापंचायत की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। हालांकि, पुलिस प्रशासन के इस फैसले से इलाके में सियासत गरमा गई है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महापंचायत को रोकने का आदेश देने से संबंधित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।

बताया जा रहा है कि घटना से खास समुदाय के कारोबारियों के खिलाफ स्थानीय लोगों में आक्रोश है, जिसके चलते कई व्यापारी पुरोला छोड़कर चले गए हैं। यहां तक कि बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष को भी अपनी दुकान खाली करके पुरोला छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। इस मामले को लेकर पुरोला में ग्राम प्रधानों के एक संगठन ने 15 जून को महापंचायत बुलाई थी लेकिन पुलिस प्रशासन ने इसकी अनुमति देने से इनकार करते हुए क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी है। ये 19 जून तक लागू रहेगी।

वहीं पुरोला से नाबालिग लड़की को भगाने के प्रयास और समुदाय विशेष के पलायन का मामला प्रधानमंत्री के पास पहुंच गया है। उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा, कुछ लोग मामले को सांप्रदायिक रंग देकर 70 साल से उत्तरकाशी में रहे लोगों को निशाना बना रहे हैं।

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