69वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में उत्तराखण्ड की बेटी ने भी प्रदेश का नाम रोशन किया है। बताया जा रहा है कि बेस्ट नॉन फीचर फिल्म के लिए सृष्टि लखेड़ा की गढ़वाली फ़िल्म “एक था गाँव” को अवॉर्ड मिला है। सृष्टी की इस कामयाबी पर प्रदेश में खुशी की लहर है। वहीं मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सृष्टि को पुरस्कार से नवाजा है।

मिली जानकारी के अनुसार टिहरी की सृष्टि लखेड़ा की फिल्म ‘एक था गांव’ को बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला है। सृष्टि ने इस फिल्म का प्रोडक्शन और निर्देशन किया है। वह कीर्तिनगर ब्लॉक के सेमला गांव निवासी है। सृष्टि का परिवार ऋषिकेश में रहता है। सृष्टि के पिता बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. केएन लखेरा ने बताया, सृष्टि करीब 13 साल से फिल्म लाइन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं।

सृष्टि लखेड़ा ने फिल्म ‘एक था गांव’  गढ़वाली और हिंदी भाषा में बनाई है। इस फिल्म में घोस्ट विलेज (पलायन से खाली हो चुके गांव) की कहानी है। यह फिल्म पलायन की पीड़ा को देखते हुए बनाई गई है। बताया, पहले उनके गांव में 40 परिवार रहते थे और अब पांच से सात लोग ही बचे हैं।

सृष्टि ने अपने गांव के पलायन को दर्शाया है। लोगों को किस तरह किसी न किसी मजबूरी से गांव छोड़ना पड़ा। इसी उलझन को उन्होंने एक घंटे की फिल्म के रूप में पेश किया है। फिल्म के दो मुख्य पात्र हैं। 80 वर्षीय लीला देवी और 19 वर्षीय किशोरी गोलू। यह फिल्म इससे पहले मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेज (मामी) फिल्म महोत्सव के इंडिया गोल्ड श्रेणी में जगह बना चुकी है। उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया है।

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