अल्मोड़ा: उत्तराखंड में प्रतिभा की कमी नहीं। हर क्षेत्र में युवा अपना लोहा मनवा रहे हैं। दुनिया में देश-प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड के बेटे लक्ष्य सेन का नाम जुड़ गया है। लक्ष्य ने भारतीय बैडमिंटन टीम को थॉमस कप जीतकर इतिहास रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लक्ष्य सेन के दमदार खेल की वजह से टीम इंडिया ने 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया की टीम को पराजित कर यह कारनामा अपने नाम किया है। इस जीत की नींव किसी ओर ने नहीं बल्कि अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने रखी थी। वह लक्ष्य सेन ही थे, जिसने इंडोनेशिया को पहले ही बैकफुट पर धकेल दिया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कि मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी युवा शटलर लक्ष्य सेन ने थॉमस कप के फाइनल में शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई है। भारत की तरफ से लक्ष्य सेन ने इंडोनेशिया के एंथनी गिनटिंग को 21-8, 17-21, 16-21 से हराकर टीम इंडिया को 1-0 की बढ़त दिलाई। बता दें कि लक्ष्य ने पहले मैच में 1-0 से टीम का खाता खोला। इसमें कोई दोराय नहीं कि लक्ष्य की जीत ने ही भारतीय जीत की नींव रखी। इसके बाद भारतीय टीम ने अन्य दो मैच जीतकर इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर इतिहास रच दिया। इस मौके पर लक्ष्य सेन को हर तरफ से बधाइयां मिल रही हैं। लक्ष्य के पिता और कोच डीके सेन का कहना है कि भारतीय बैडमिंटन टीम ने मील का पत्थर स्थापित किया है हम खुश हैं यह यादगार पल है।

गौरतलब है कि लक्ष्य सेन बैंडमिंटन परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लक्ष्य मूलरूप से सोमेश्वर (अल्मोड़ा ) के ग्राम रस्यारा के रहने वाले हैं। उनका जन्‍म 16 अगस्त 2001 को हुआ है। लक्ष्य ने 12वीं तक की शिक्षा बीयरशिवा स्कूल अल्मोड़ा से पूरी की। उनके पिता और दादा दोनों ही बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। 6 साल की उम्र में लक्ष्य ने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। बैडमिंटन में ही नाम कमाने का जुनून सर पर सवार हो गया। महज 10 साल की उम्र में घर से ही मिले प्रशिक्षण से लक्ष्य ने इजरायल में पहला अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीता था। यही जज्बा और जुनून बढ़ता गया। और आज लक्ष्य ने टीम इंडिया को जीत दिला दी जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। लक्ष्य को बधाई देने वालो का तांता लग गया है। तो वहीं प्रदेश को लक्ष्य पर गर्व है।

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