DEHRADUN: विधानसभा के मानसून सत्र में खानपुर विधायक ने दावा किया था कि गुप्ता बंधु 500 करोड़ की मदद से धामी सरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं। इस मामले पर चौतरफा राजनीति हो रही है। पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने भी इस मामले पर जांच की मांग की है।
मसूरी में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार गिराने की साजिश का दावा करने वाले विधायक की विश्वसनीयता नहीं है। उनके दावों की भी जांच होनी चाहिए। और स्पीकर को उनसे सबूत मांगने चाहिए। लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी इस बात की है कि इस मामले पर सभी विधायक और सरकार चुप हैं। इससे जनमानस में आशंका पैदा हो रही है। त्रिवेंद्र ने कहा कि यह गंभीर मामला है। 70 विधायको ने चुपी क्यों साध ली। इसे लेकर जनता सवाल पूछ रही है। विधानसभा अध्यक्ष को भी को जांच करनी चाहिए और आरोप लगाने वाले विधायक से इसके सबूत मांगने चाहिए कि ऐसा सनसनीखेज बयान किस आधार पर दिया।
त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जिस विधायक यह सवाल उठाया वह न तो विश्वसनीय है, न ही अनुभवी है न ही उन्हें उत्तराखंड के सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन विधानसभा में सवाल उठाया गया है जो सदन की कार्रवाई का हिस्सा बना है ऐसे में उनसे प्रमाण लिए जाने चाहिए, उन्होंने उत्तराखंड के विश्वास को खंडित करने का कार्य किया।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि इस मामले पर वे पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक के बयान और राय से पूरी तरह संबद्ध हैं। डॉ. निशंक ने कहा था कि विधानसभा का सदन कोई नुक्कड़ नहीं कि वहां बिना प्रमाणिकता के कोई भी बात कह दी जाए। सदन की गरिमा है और यदि यह बात कही है तो इसमें सत्यता होगी। इसलिए इसकी गंभीरता को समझना चाहिए। प्रदेश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि आखिर सरकार गिराने की साजिश के पीछे कौन है? यह बात कहां से आई, क्यों और आई? लोकतंत्र के लिए इससे खतरनाक बात कोई और नहीं हो सकती है कि एक चुनी सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है। इसका खुलासा होना चाहिए। चूंकि यह बयान सदन में दिया गया है तो विधानसभा अध्यक्ष को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए