द्रौपदी मुर्मु तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड आई है। इसी कड़ी में उन्होंने अपने प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शिरकत की। विश्वविद्यालय के 35वां दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। राष्ट्रपति ने एक हजार से ज्यादा छात्र छात्राओं को उपाधियां वितरित कीं। उत्तराखंड की नेहा बिष्ट को कुलाधिपति गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की। राष्ट्रपति का स्वागत राज्यपाल गुरमीत सिंह और केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने किया। उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस दौरान विवि के 1041 छात्र छात्राओं उपाधियां दी गईं। सबसे पहले कुलपति बीएस चौहान ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने कृषि विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की। राष्ट्रपति ने रिपोर्ट का अवलोकन किया।
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में इस बार 1041 छात्र छात्राओं को उपाधियां दी गईं. इनमें ग्रेजुएशन के 626 छात्र छात्राएं, पीजी के 310 छात्र छात्राएं और पीएचडी वाले 105 छात्र छात्राओं को उपाधियां दी गई हैं। शैक्षणिक रिकॉर्ड के आधार पर 14 कुलपति स्वर्ण पदक प्रदान किए गए हैं. 11 रजत पदक दिए गए। इसके साथ ही 10 कांस्य पदक बांटे गए। नेहा बिष्ट को सर्वश्रेष्ठ छात्रा का कुलाधिपति स्वर्ण पदक मिला। एक घंटे तक चले कार्यक्रम के बीच राष्ट्रपति द्वारा उपाधि पा रहे छात्र छात्राओं को शुभकामनाएं दी गईं।
इस दौरान कुलपति ने कहा कि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार में अपने अहम योगदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा दिए जाने वाले प्रतिष्ठित “सरदार पटेल आउटस्टेंडिंग इन्स्टीट्यूशन” सम्मान से विवी को तीन बार सम्मानित किया जा चुका है। इस उपलब्धि के अलावा विश्वविद्यालय आई.सी.ए.आर. रैंकिंग में देश के कृषि विश्वविद्यालयों के बीच लगातार शीर्ष स्थान पर रहा है।
वहीं पंतनगर विवि के 35वां दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी, भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत की स्मृति में, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय किया गया। स्वर्गीय पंत ने इस विश्वविद्यालय के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया था, ये उनकी दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि आज यह विश्वविद्यालय देश व विदेश में प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में विख्यात है। आज इस अवसर पर, मैं उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं ।